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कश्मीरी हिंदुओं का दर्द !

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  कश्मीर में 1990 में क्या हुआ कश्मीरी पंडितों के साथ ये बात किसी से छुपी नहीं है !  कश्मीर देखने में बिलकुल जन्नत जैसा. जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है. कश्मीर को सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. कश्यप ऋषि के नाम पर परा जो स्थान है वह कश्मीर है. जिसकी हसीं वादियां दिल को खुश कर देती है यह कहानी 1990 के उस दौर की है जब कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ बहुत ही गलत व्यवहार हुआ। जब लाखों की संख्या में कश्मीरी पंडितों को आतंकियों की धमकी के चलते अपने घर छोड़कर भागना पड़ा था। हालांकि, यह किन हालात में हुआ और वे कौन से प्रमुख चेहरे थे, जो इस पूरे घटनाक्रम में लगातार सामने आते रहे, इस पर देश में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। कश्मीरी पंडित यानी कश्मीर में रहने वाला ब्राह्मण समुदाय। यह समुदाय शुरुआत से ही घाटी में अल्पसंख्यक था।जम्मू कश्मीर में इस्लामी कैसे कटरटा भड़क गया, इसको जानने के लिए हमें साल 1975 में जाना होगा। यह वह समय था जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शेख अब्दुल्ला के साथ समझौता किया था ताकि कश्मीरी घाटी के हालात सुधर सके।इस समझौते के बाद ही शेख अब...

{ संपूर्ण कोशिश } ___________💥

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सूर्य की महादशा में – सभी ग्रहों   की अन्तर्दशा का फल {1} सूर्य की महादशा में सूर्य की ही अंतर्दशा तीन महीने अठारह दिन की होती है। यदि जन्म पत्रिका में सूर्य कारक हो, उच्च राशि का हो तथा पाप प्रभाव से रहित हो तो अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में शुभफल देता है। इस दशा में जातक के धन धान्य की वृद्धि होती है तथा उसे पदोन्नति का अवसर मिलता है। समाज में जातक की मान प्रतिष्ठान बढ़ती है। जातक के सभी कार्य अनायास हो जाते हैं। अकारक एवं पाप प्रभावी सूर्य की अन्तर्दशा में जातक रोग से पीड़ित होता है एवं अंशात रहता है। उसे क्रोध बहुत आता है। आय की अपेक्षा जातक का व्यय बढ़ा रहता है जिसके फलस्वरूप उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है जातक पढ़ावनति स्थानान्तरण, अधिकारियों से विरोध जैसी आपत्तियों को झेलता है एवं व्यर्थ भटकता रहता है! 💥 {2} सूर्य की महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा का फल सूर्य की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा छः महीने की होती है। यदि जन्म पत्रिका में चन्द्रमा में चन्द्रमा उच्च राशि, स्वराशि, मित्र राशि आदि शुभ प्रभाव में हो तथा केन्द्र, धन अथवा आज स्थान में स्थित हो तो शुभ फल प्रदान कर...

चिड़िया और किसान

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एक गाँव में एक किसान रहता था.  उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था. एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया.कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए. उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये. वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे.कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया. गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए. अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था. एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा. यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए. उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी. जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है. रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा.”चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों. मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी.”चिड़िया की कही बात सही साबित हुई. दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी. शाम क...

जो चाहोगे सो पाओगे

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एक साधु घाट किनारे अपना डेरा डाले हुए था. वहाँ वह धुनी रमा कर दिन भर बैठा रहता और बीच-बीच में ऊँची आवाज़ में चिल्लाता, “जो चाहोगे सो पाओगे!”उस रास्ते से गुजरने वाले लोग उसे पागल समझते थे. वे उसकी बात सुनकर अनुसना कर देते और जो सुनते, वे उस पर हँसते थे. एक दिन एक बेरोजगार युवक उस रास्ते से गुजर रहा था. साधु की चिल्लाने की आवाज़ उसके कानों में भी पड़ी – “जो चाहोगे सो पाओगे!” “जो चाहोगे सो पाओगे!”.ये वाक्य सुनकर वह युवक साधु के पास आ गया और उससे पूछने लगा, “बाबा! आप बहुत देर से जो चाहोगे सो पाओगे चिल्ला रहे हो. क्या आप सच में मुझे वो दे सकते हो, जो मैं पाना चाहता हूँ?”साधु बोला, “हाँ बेटा, लेकिन पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम पाना क्या चाहते हो?” “बाबा! मैं चाहता हूँ कि एक दिन मैं हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनूँ. क्या आप मेरी ये इच्छा पूरी कर सकते हैं?” युवक बोला.बिल्कुल बेटा! मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने चाहे हीरे-मोती बना लेना.” साधु बोला. साधु की बात सुनकर युवक की आँखों में आशा की ज्योति चमक उठी. फिर साधु ने उसे अपनी दोनों हथेलियाँ आगे बढ़ाने को कहा. युवक ने अपनी ...

हीरे की खान

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अफ्रीका महाद्वीप में हीरों की कई खानों की खोज हो चुकी थी, जहाँ से बहुतायत में हीरे प्राप्त हुए थे. वहाँ के एक गाँव में रहने वाला किसान अक्सर उन लोगों की कहानियाँ सुना करता था, जिन्होंने हीरों की खान खोजकर अच्छे पैसे कमाये और अमीर बन गए. वह भी हीरे की खान खोजकर अमीर बनना चाहता था. एक दिन अमीर बनने के सपने को साकार करने के लिए उसने अपना खेत बेच दिया और हीरों की खान की खोज में निकल पड़ा. अफ्रीका के लगभग सभी स्थान छान मारने के बाद भी उसे हीरों का कुछ पता नहीं चला. समय गुजरने के साथ उसका मनोबल गिरने लगा. उसे अपना अमीर बनने का सपना टूटता दिखाई देने लगा. वह इतना हताश हो गया कि उसके जीने की तमन्ना ही समाप्त हो गई और एक दिन उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. इस दौरान दूसरा किसान, जिसने पहले किसान से उसका खेत खरीदा था, एक दिन उसी खेत के मध्य बहती छोटी नदी पर गया. सहसा उसे नदी के पानी में से इंद्रधनुषी प्रकाश फूटता दिखाई पड़ा. उसने ध्यान से देखा, तो पाया कि नदी के किनारे एक पत्थर पर सूर्य की किरणें पड़ने से वह चमक रहा था. किसान ने झुककर वह पत्थर उठा लिया और घर ले आया. वह एक ख़ूबसूरत पत्थर था. उसने सो...

🏮हमेशा सीखते रहो

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एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने  शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया. शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये. फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया. दोनों का व्यवसाय चल पड़ा. दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली. व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरे काम चल पड़ा है. अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा. लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ. अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा. वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया. सबने पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था. वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है. उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया. अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा. दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा. तब पहला व्यक्ति बोला, ...

Four Candles

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 It was night time.  There was a dark shadow all around.  Only one room was published.  There were four candles burning.  The four candles started talking among themselves after seeing solitude.  The first candle said, "I am peace."  When I see this world, I feel very sad.  Abruptness, robbery and violence are prevalent everywhere.  In such a situation it is very difficult to stay here.  I can't live here anymore. "  Saying this, the candle was extinguished.  The second candle also started speaking to her mind, "I am a believer.  I think that lies, deception, fraud, dishonesty are going to end my existence.  This place is no longer fit for me.  I am also going. "  Having said this, the second candle was also extinguished.  The third candle was also sad.  She said, "I am love."  I can burn every moment for everyone.  But now no one has time left for me.  The sense of selfishness and h...