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Showing posts from April, 2021

जो चाहोगे सो पाओगे

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एक साधु घाट किनारे अपना डेरा डाले हुए था. वहाँ वह धुनी रमा कर दिन भर बैठा रहता और बीच-बीच में ऊँची आवाज़ में चिल्लाता, “जो चाहोगे सो पाओगे!”उस रास्ते से गुजरने वाले लोग उसे पागल समझते थे. वे उसकी बात सुनकर अनुसना कर देते और जो सुनते, वे उस पर हँसते थे. एक दिन एक बेरोजगार युवक उस रास्ते से गुजर रहा था. साधु की चिल्लाने की आवाज़ उसके कानों में भी पड़ी – “जो चाहोगे सो पाओगे!” “जो चाहोगे सो पाओगे!”.ये वाक्य सुनकर वह युवक साधु के पास आ गया और उससे पूछने लगा, “बाबा! आप बहुत देर से जो चाहोगे सो पाओगे चिल्ला रहे हो. क्या आप सच में मुझे वो दे सकते हो, जो मैं पाना चाहता हूँ?”साधु बोला, “हाँ बेटा, लेकिन पहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम पाना क्या चाहते हो?” “बाबा! मैं चाहता हूँ कि एक दिन मैं हीरों का बहुत बड़ा व्यापारी बनूँ. क्या आप मेरी ये इच्छा पूरी कर सकते हैं?” युवक बोला.बिल्कुल बेटा! मैं तुम्हें एक हीरा और एक मोती देता हूँ, उससे तुम जितने चाहे हीरे-मोती बना लेना.” साधु बोला. साधु की बात सुनकर युवक की आँखों में आशा की ज्योति चमक उठी. फिर साधु ने उसे अपनी दोनों हथेलियाँ आगे बढ़ाने को कहा. युवक ने अपनी ...

हीरे की खान

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अफ्रीका महाद्वीप में हीरों की कई खानों की खोज हो चुकी थी, जहाँ से बहुतायत में हीरे प्राप्त हुए थे. वहाँ के एक गाँव में रहने वाला किसान अक्सर उन लोगों की कहानियाँ सुना करता था, जिन्होंने हीरों की खान खोजकर अच्छे पैसे कमाये और अमीर बन गए. वह भी हीरे की खान खोजकर अमीर बनना चाहता था. एक दिन अमीर बनने के सपने को साकार करने के लिए उसने अपना खेत बेच दिया और हीरों की खान की खोज में निकल पड़ा. अफ्रीका के लगभग सभी स्थान छान मारने के बाद भी उसे हीरों का कुछ पता नहीं चला. समय गुजरने के साथ उसका मनोबल गिरने लगा. उसे अपना अमीर बनने का सपना टूटता दिखाई देने लगा. वह इतना हताश हो गया कि उसके जीने की तमन्ना ही समाप्त हो गई और एक दिन उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. इस दौरान दूसरा किसान, जिसने पहले किसान से उसका खेत खरीदा था, एक दिन उसी खेत के मध्य बहती छोटी नदी पर गया. सहसा उसे नदी के पानी में से इंद्रधनुषी प्रकाश फूटता दिखाई पड़ा. उसने ध्यान से देखा, तो पाया कि नदी के किनारे एक पत्थर पर सूर्य की किरणें पड़ने से वह चमक रहा था. किसान ने झुककर वह पत्थर उठा लिया और घर ले आया. वह एक ख़ूबसूरत पत्थर था. उसने सो...

🏮हमेशा सीखते रहो

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एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने  शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया. शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ पैसे जमा किये. फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया. दोनों का व्यवसाय चल पड़ा. दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली. व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरे काम चल पड़ा है. अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊंगा. लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ. अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा. वह उन कारणों को तलाशने लगा, जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया. सबने पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था. वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है. उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया. अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा. दूसरे व्यक्ति ने उसका खूब आदर-सत्कार किया और उसके आने का कारण पूछा. तब पहला व्यक्ति बोला, ...

Four Candles

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 It was night time.  There was a dark shadow all around.  Only one room was published.  There were four candles burning.  The four candles started talking among themselves after seeing solitude.  The first candle said, "I am peace."  When I see this world, I feel very sad.  Abruptness, robbery and violence are prevalent everywhere.  In such a situation it is very difficult to stay here.  I can't live here anymore. "  Saying this, the candle was extinguished.  The second candle also started speaking to her mind, "I am a believer.  I think that lies, deception, fraud, dishonesty are going to end my existence.  This place is no longer fit for me.  I am also going. "  Having said this, the second candle was also extinguished.  The third candle was also sad.  She said, "I am love."  I can burn every moment for everyone.  But now no one has time left for me.  The sense of selfishness and h...

Motivation speech

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You must have heard the name of Michael Jordan  He is a famous basketball player.  Who achieved this success due to their hard work.  You are going to get a lot of inspiration from this motivational story, so let's start.   Michael Jordan was the obedient son of his papa from childhood.  Once his father gave him a tshirt and asked Michael to sell this tshirt.  Michael never said that father, I will not be able to do this work.  Michael went and sold that t-shirt for $ 1  His father complimented him  And next time again Michael said go and show it this time by selling it for 2 dollars,  Michael went and continued to suffer in the sun but did not sell the t-shirt.  Michael brainwashed and printed a photo of the micky mouse on the t-shirt and stood outside a nice school where Amiro's children were studying.  Then a child liked that t-shirt and his parents gave that t-shirt to that child.  In return, Michael received $ 20. ...

आखिरी प्रयास

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एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया. राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया.  महामंत्री  गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें ५० स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी.” ५० स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा. पचास ब...

कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है

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एक समय की बात है गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था चलते – चलते सभी थक से गए थे। अब उन्हें विश्राम करने की इच्छा हुई , किंतु अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे।  रास्ते में एक नाला आया जिस को पार करने के लिए लंबी छलांग लगानी थी। सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार किया। किंतु गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक शिष्य गोपाल कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे , योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ? गुरु जी परेशान होने लगे क्योंकि गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य अमल नहीं कर रहा है। अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ , ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। एक शिष्य मदन  उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा , किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया। क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल ले...

दूसरा पहलु जरूर देखे

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एक प्यारी छोटी बच्ची ने अपने दोनों हाथो में दो सेब पकड़ रखे थे। तभी उसके पापा वह आये और उसने बड़ी प्यार से अपनी छोटी सी बेटी से पूछा की, “मेरी प्यारी परी, क्या तुम अपने पापा को तुम्हारे दो सेब में से एक सेब दोंगी?” ये सुनते ही वो प्यारी बच्ची कुछ समय के लिए अपने पापा को देखती रही, तभी उसने एक सेब का थोडा सा टुकड़ा खा लिया और जल्दी से दुसरे सेब का भी थोडा सा टुकड़ा खा लिया। उस बच्ची का बाप ये देखकर मुस्कुराने लगा,उसका चेहरा जम सा गया था। वो अपनी मायूसी को उस प्यारी बेटी को बताना नहीं चाहता था। तभी उस छोटी बच्ची ने अपने एक हाँथ से थोडा खाया हुआ सेब अपने पापा को दे दिया और कहा, “पापा, ये आप लो। क्योकि ये वाला ज्यादा मीठा है।” पापा अब निःशब्द हो गए, क्योकि उन्होंने अपने मन में कुछ और धारणा बना ली थी। इसलिए दोस्तों- किसी की भी वर्तमान परिस्थिति को देखकर ही अपने मन कुछ गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए। क्योकि फिर समय आने पर हमारे पास पछताने के शिवा कुछ नहीं बचता हैं। इस्सलिये हमें पूरी बात समझ कर ही कुछ करना चाहिए , धन्यवाद !

✍️हार गया लेकिन खुद से जीत गया

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मोहन नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था!  वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था!  परंतु वह किसी भी रेस  को पूरा नही करता था !  एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह रेस पूरी जरूर करेगा ! अब रेस शुरू हुई , हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे धीरे सारे धावक आगे निकल रहे थे, मगर अब हरीश थक गया था वह रुक गया,  फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हुँ , उसने ऐसा ही किया वह धीरे धीरे चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था, अब वह बहुत ज्यादा थक  गया था, और नीचे गिर पड़ा ! उसने खुद को बोला की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा वह जिद करके वापस उठा लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया माना कि वह रेस हार चुका था लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले रेस को कभी पूरा ही नही कर पाया था वह जमीन पर पड़ा हुआ था क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था लेकिन आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह हार कर भी जीता था!  हरीश श की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम लगातार आगे बढ़ते रह...

मजबूत इच्छाशक्ति की रोचक कहानी

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  मजबूत इच्छाशक्ति की रोचक कहानी मैं आपको बताने जा रहा हुँ कृपया इससे पूरा पढ़े , इससे पढ़ने के बाद आपकी सभी संसय ख़तम हो जाएगी !  काफी समय पहले की बात है,जॉन रेम्बलिंग नाम का एक इंजीनियर था, यह 1883 की बात है। उसके दिमाग में एक विचार आया कि मैं  न्यूयॉर्क और लोंग आईलैंड के बीच में एक पुल बनाना चाहता हूं।  तो उसकी इस बात पर किसी ने उसका विश्वास नहीं किया,  क्योंकि सभी को लगता था यह असंभव सा कार्य है  और यह नहीं हो सकता। इसलिए लोगों ने मान लिया था  कि यह नामुमकिन है, लेकिन जॉन को यह लगता था कि यह मुमकिन है। उन्होंने अपने बेटे को मनाया और उसी के साथ लग गए  उनके पुत्र का नाम वाशिंगटन था दोनों बाप बेटे ने  एक साथ मिलकर इस पुल के हजारों नक्शे बनाए  और हर परिस्थिति का सामना करने करते हुए आगे बढ़ते रहे।  सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था।  निर्माण स्थल पर एक दुखद हादसे में जॉन रैंबो लिंग की मौत हो गई  और उनके पुत्र वाशिंगटन के दिमाग में कुछ ऐसा आघात लगा  कि वह बात करने लायक भी नहीं रहा।  तरह तरह की बातें लोग उनके बारे में करने लगे...

कठिनाइयों से ना घबराएं

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जीवन में कठिनाई हमेशा आती रहती है , हमें इससे नहीं घबराना चाहिए !  बहुत समय पहले की बात है एक शिल्पकार एक मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे मूर्ति बनाने के लिए एक बहुत अच्छा पत्थर मिल गया। वो पत्थर लेके वापस घर आते वक्त रास्ते में से एक ओर पत्थर साथ उठा लाया। घर आकर उसने अच्छे वाले पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए हथौड़ी और छेनी से उस पत्थर पर कारीगरी करने लगा। जब शिल्पकार की छेनी और हथौड़ी से पत्थर को चोट लगने लगी तो पत्थर ने दर्द से कराहते हुए शिल्पकार से बोला, “अरे भाई मेरे से यह दर्द सहा नहीं जाता, ऐसे तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना दो ना प्लीज़।” उस पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गई। उसने उस पत्थर को छोड़कर दूसरे पत्थर की गढ़ाई करनी शुरू कर दी। दूसरे पत्थर ने कुछ भी नहीं बोला। शिल्पकार ने थोड़े ही समय में एक प्यारी सी भगवान की मूर्ति बना दी। पास के गांव के लोग तैयार मूर्ति को लेने के लिए आए। मूर्ति को लेकर निकलने वाले थे लेकिन उन्हें ख्याल आया कि नारियल फोड़ने के लिए भी एक पत्थर की जरूरत होगी तो वहां पर रखा पहले वाला पत्...