✍️हार गया लेकिन खुद से जीत गया



मोहन नाम का एक लड़का था उसको दौड़ने का बहुत शौक था! 



वह कई मैराथन में हिस्सा ले चुका था! 

परंतु वह किसी भी रेस  को पूरा नही करता था ! 

एक दिन उसने ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह रेस पूरी जरूर करेगा ! अब रेस शुरू हुई , हरीश ने भी दौड़ना शुरू किया धीरे धीरे सारे धावक आगे निकल रहे थे, मगर अब हरीश थक गया था वह रुक गया, 



फिर उसने खुद से बोला अगर मैं दौड़ नही सकता तो कम से कम चल तो सकता हुँ , उसने ऐसा ही किया वह धीरे धीरे चलने लगा मगर वह आगे जरूर बढ़ रहा था, अब वह बहुत ज्यादा थक  गया था, और नीचे गिर पड़ा ! उसने खुद को बोला की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा वह जिद करके वापस उठा



लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी कर गया माना कि वह रेस हार चुका था लेकिन आज उसका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले रेस को कभी पूरा ही नही कर पाया था वह जमीन पर पड़ा हुआ था क्योंकि उसके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव हो चुका था लेकिन आज वह बहुत खुश था क्योंकि आज वह हार कर भी जीता था! 


हरीश श की कहानी से हमे यही सीखने को मिलता है कि अगर हम लगातार आगे बढ़ते रहे तो एक दिन हम हारकर भी जीत जाएंगे, 

और जितने में जो ख़ुशी है वह किसी काम में नहीं है! 





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